Sunday 24 March 2019

पए-नज़्रे-करम तोहफ़ा है paye najre karam tohfa hai

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पए-नज़्रे-करम तोहफ़ा है शर्मे-ना-रसाई का
ब-ख़ूं-ग़ल्तीदा-ए-सद-रंग दावा पारसाई का

न हो हुस्ने-तमाशा दोस्त रुस्वा बे-वफ़ाई का
बमुहरे-सद-नज़र साबित है दावा पारसाई का

ज़काते-हुस्न दे ऐ जल्वा-ए-बीनिश कि मेहर-आसा
चिराग़े-ख़ाना-ए-दरवेश हो कासा-गदाई का

न मारा जानकर बेजुर्म ग़ाफ़िल, तेरी गरदन पर
रहा मानिन्दे-ख़ूने-बे-गुनाह हक़ आशनाई का

तमन्ना-ए-ज़बां महवे-सिपासे-बे-ज़बानी है
मिटा जिससे तक़ाज़ा शिकवा-ए-बे-दस्तो-पाई का

वही इक बात है जो यां नफ़स, वां नकहते-गुल है
चमन का जल्वा बा`इस है मेरी रंगीं-नवाई का

दहाने-हर-बुते-पैग़ारा-जू ज़ंजीरे-रुसवाई
अ़दम तक बे-वफ़ा! चर्चा है तेरी बे-वफ़ाई का

न दे नाले[23] को इतना तूल 'ग़ालिब' मुख़्तसर[24] लिख दे
कि हसरते-संज[25] हूं अर्ज़े-सितम-हाए-जुदाई[26] का


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