Saturday, 16 March 2019
नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का naqsh fariyadi hai kiski shokh
नक़्श फ़रियादी है किसकी शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का
काव-काव- ए सख़्तजानी हाय तनहाई न पूछ
सुबह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
जज़्बा-ए-बेअख़्तियारे-शौक़ देखा चाहिए
सीना-ए-शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
आगही दामे-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ़ अ़न्क़ा है अपने आ़लमे-तक़रीर का
बस कि हूँ "ग़ालिब" असीरी में भी आतिश-ज़ेर-पा
मूए-आतिश-दीद़ा है हल्क़ा मेरी ज़ंजीर का
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