Sunday 17 March 2019

शब ख़ुमार-ए-शौक़-ए-साक़ी रस्तख़ेज़-अन्दाज़ा था shab ae khumar ae shok ae saaki

No comments :

शब ख़ुमार-ए-शौक़-ए-साक़ी रस्तख़ेज़-अन्दाज़ा था
ता मुहीत-ए-बादा सूरत-ख़ाना-ए-ख़मियाज़ा था

यक क़दम वहशत से दरस-ए-दफ़तर-ए-इमकां खुला
जादा अजज़ा-ए-दो-आ़लम-दश्त का शीराज़ा था

मान-ए-वहशत-ख़िरामीहा-ए-लैला कौन है
ख़ाना-ए-मजनूं-ए-सहरागिरद बे-दरवाज़ा था

पूछ मत रुसवाई-ए-अन्दाज़-ए-इस्तिग़ना-ए-हुस्न
दस्त मरहून-ए-हिना रुख़सार रहन-ए-ग़ाज़ा था

नाला-ए-दिल ने दिये औराक़-ए-लख़त-ए-दिल ब बाद
यादगार-ए-नाला इक दीवान-ए-बे-शीराज़ा था

हूं चिराग़ां-ए-हवस जूं काग़ज़-ए-आतिश-ज़दा
दाग़ गरम-ए-कोशिश-ए-ईजाद-ए-दाग़-ए-ताज़ा था

बे-नवाई तर सदा-ए-नग़मा-ए-शुहरत असद
बोरिया यक नैसितां-आ़लम बुलंद दरवाज़ा था


No comments :

Post a Comment