Sunday 17 March 2019

न होगा यक-बयाबां मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा na hoga yaq bayabaa mandagi

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न होगा यक-बयाबां मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा
हबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार है नक़्श-ए-क़दम मेरा

मुहब्बत थी चमन से लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है
कि मौजे-बूए-गुल से नाक में आता है दम मेरा


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