न होगा यक-बयाबां मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा हबाब-ए-मौजा-ए-रफ़्तार है नक़्श-ए-क़दम मेरा मुहब्बत थी चमन से लेकिन अब ये बेदिमाग़ी है कि मौजे-बूए-गुल से नाक में आता है दम मेरा
No comments :
Post a Comment