Saturday 13 April 2019

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया, मेरे आगे bajicha ae atfaal hai galib

No comments :

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया, मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा, मेरे आगे

इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां मेरे नज़दीक
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा, मेरे आगे

जुज़ नाम, नहीं सूरत-ए-आ़लम मुझे मंज़ूर
जुज़ वहम, नहीं हस्ती-ए-अशया, मेरे आगे

होता है निहाँ  गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे

सच कहते हो, ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा हूँ, न क्यों हूँ
बैठा है बुत-ए-आईना सीमा, मेरे आगे

फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा, मेरे आगे

नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है, मैं रश्क से गुज़रा
क्योंकर कहूँ, लो नाम न उनका मेरे आगे

ईमाँ  मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है, कलीसा मेरे आगे

आशिक़ हूँ, पे माशूक़-फ़रेबी है मेरा काम
मजनूं को बुरा कहती है लैला, मेरे आगे

ख़ुश होते हैं, पर वस्ल में, यूँ मर नहीं जाते
आई शबे-हिजराँ की तमन्ना, मेरे आगे

है मौज-ज़न इक क़ुल्ज़ुमे-ख़ूँ काश! यही हो
आता है अभी देखिये क्या-क्या, मेरे आगे

गो हाथ को जुम्बिश नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना, मेरे आगे

हमपेशा-ओ-हमशरब-ओ-हमराज़ है मेरा
'ग़ालिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे


No comments :

Post a Comment