Friday 5 April 2019

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें main unhe chedu aur kuch na kahe

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मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते, जो मय पिये होते

क़हर हो, या बला हो, जो कुछ हो
काश कि तुम मेरे लिये होते

मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी, या रब, कई दिये होते

आ ही जाता वो राह पर, "ग़ालिब"
कोई दिन और भी जिये होते


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