Thursday 4 April 2019

निकोहिश है सज़ा, फ़रियादी-ए-बे-दाद-ए-दिलबर की nikohish hai sazaa, fariyadi ae bedaad

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निकोहिश है सज़ा, फ़रियादी-ए-बे-दाद-ए-दिलबर की
मबादा ख़न्दा-ए-दनदां-नुमा हो सुबह महशर की

रग-ए-लैला, को ख़ाक-ए-दश्त-ए-मजनूं रेशगी बख़्शे
अगर बोवे बजा-ए-दाना दहक़ां, नोक नश्तर की

पर-ए-परवाना शायद बादबान-ए-किश्ती-ए-मै था
हुई मजलिस की गरमी से रवानी दौर-ए-साग़र की

करूं बे-दाद-ए-ज़ौक़-ए-पर-फ़िशानी अ़रज़ क्या, क़ुदरत
कि ताक़त उड़ गई उड़ने से पहले मेरे शह-पर की

कहां तक रोऊं उस के ख़ेमे के पीछे, क़यामत है
मेरी क़िस्मत में, या रब !, क्या न थी दीवार पत्थर की


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