न पूछ नुस्ख़ा-ए-मरहम जराहते-दिल का कि उस में रेज़ा-ए-अल्मास जुज़्व-ए-आ़ज़म है बहुत दिनों में तग़ाफ़ुल ने तेरे पैदा की वह इक निगह कि ब ज़ाहिर निगाह से कम है
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