Saturday 13 April 2019

करे है बादा, तेरे लब से, कसब-ए-रंग-ए-फ़ुरोग kare hai vaada galib

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करे है बादा, तेरे लब से, कसब-ए-रंग-ए-फ़ुरोग़
ख़त-ए-प्याला सरासर निगाह-ए-गुल-चीं है

कभी तो इस दिल-ए-शोरीदा की भी दाद मिले
कि एक उ़मर से हसरत-परसत-ए-बाली है

बजा है गर न सुने नाला-ए-बुलबुल-ए-ज़ार
कि गोश-ए-गुल नम-ए-शबनम से पम्बा-आगीं है

'असद' है नज़अ़ में चल बे-वफ़ा बरा-ए-ख़ुदा
मक़ाम-ए-तरक-ए-हिज़ाब-ओ-विदा-ए-तमकीं है


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