Saturday 13 April 2019

जिस जा नसीम शाना-कश-ए ज़ुल्फ़-ए-यार है jis jaa naseem shaana

No comments :

जिस जा नसीम शाना-कश-ए ज़ुल्फ़-ए-यार है
नाफ़ा दिमाग़-ए आहू-ए दश्त-ए ततार है

किस का सुराग़ जल्वा है हैरत को, ऐ ख़ुदा
आईना फ़रश-ए शश-जिहत-ए इन्तिज़ार है

है ज़र्रा-ज़र्रा तंगी-ए जा से ग़ुबार-ए शौक़
गर दाम यह है, वुस`अत-ए सहरा शिकार है

दिल मुद्द`ई-ओ-दीदा, बना मुद्द`आ अ़ली
नज़्ज़ारे का मुक़द्दमा फिर रूबकार है

छिड़के है शबनम आइना-ए-बरग-ए गुल पर आब
ऐ अ़ंदलीब वक़्त-ए विदाअ़-ए-बहार है

पच आ पड़ी है वादा-ए दिलदार की मुझे
वह आए या न आए पे यां इंतज़ार है

बे-परदा सू-ए-वादी-ए-मजनूं गुज़र न कर
हर ज़र्रे के नक़ाब में दिल बे-क़रार है

ऐ अ़ंदलीब, यक कफ़-ए ख़स बहर-ए आशियां
तूफ़ान-ए आमद-आमद-ए फ़सल-ए बहार है

दिल मत गंवा, ख़बर न सही सैर ही सही
ऐ बे-दिमाग़, आईना तिम्साल-दार है

ग़फ़लत[21] कफ़ील-ए उ़मर-ओ[22]-'असद' ज़ामिन-ए-निशात[23]
ऐ मर्ग-ए-नागहां[24], तुझे क्या इंतज़ार है


No comments :

Post a Comment