Saturday, 6 April 2019
फ़रियाद की कोई लै नहीं है fariyaad ki koi lee nahi
फ़रियाद की कोई लै नहीं है
नाला पाबनद-ए-नै नहीं है
क्यूं बोते हैं बाग़-बान तूंबे
गर बाग़ गदा-ए-मै नहीं है
हर-चन्द हर एक शै में तू है
पर तुझ-सी कोई शै नहीं है
हाँ, खाइयो मत फ़रेब-ए-हस्ती
हर-चन्द कहें कि 'है', नहीं है
शादी से गुज़र, कि ग़म न रहवे
उरदी जो न हो, तो दै नहीं है
क्यूं रद्द-ए-क़दह करे है, ज़ाहिद
मै है ये, मगस की क़ै नहीं है
हस्ती है न कुछ अ़दम है 'ग़ालिब'
आख़िर तू क्या है, ऐ, 'नहीं' है
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