Saturday 6 April 2019

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायां मुझ से har kadam duri ae manzil hai numaya

No comments :

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायां मुझ से
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबां मुझ से

दरस-ए-उनवान-ए-तमाशा ब तग़ाफ़ुल ख़ुशतर
है निगह रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गां मुझ से

वहशत-ए-आतिश-ए-दिल से शब-ए-तनहाई में
सूरत-ए-दूद रहा साया गुरेज़ां मुझ से

ग़म-ए-उश्शाक़, न हो सादगी-आमोज़-ए-बुतां
किस क़दर ख़ाना-ए-आईना है वीरां मुझ से

असर-ए-आबला से जाद-ए-सहरा-ए-जुनूं
सूरत-ए-रिश्ता-ए-गौहर है चिराग़ां मुझ से

बे-ख़ुदी बिस्तर-ए-तम्हीद-ए-फ़राग़त हो जो
पुर है साए की तरह मेरा शबिस्तां मुझ से

शौक़-ए-दीदार में गर तू मुझे गरदन मारे
हो निगह मिस्ल-ए-गुल-ए-शमअ़ परेशां मुझ से

बेकसी हाए-शब-ए-हिज़र की वहशत, है -है
साया ख़ुरशीद-ए-क़यामत में है पिनहां मुझ से

गर्दिश-ए-साग़र-ए-सद जल्वा-ए-रंगीं तुझ से
आईना-दारी-ए-यक-दीदा-ए-हैरां मुझ से

निगह-ए-गरम से इक आग टपकती है 'असद'
है चिराग़ां ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-गुलिस्तां मुझ से


बस्तन-ए-अ़हद-ए-मुहब्बत हमा ना-दानी था
चश्म-ए-नकशूदा रहा उक़दा-ए-पैमां मुझ से

आतिश-अफ़रोज़ी-ए-यक शोला-ए-ईमा तुझ से
चश्मक-आराई-ए सद-शहर चिराग़ां मुझ से


No comments :

Post a Comment