Friday, 5 April 2019
पा-ब दामन हो रहा हूँ, बस कि मैं सहरा-नवर्द pa ba daaman ho rahaa hu
पा-ब दामन हो रहा हूँ, बस कि मैं सहरा-नवर्द
ख़ार-ए-पाहैं जौहर-ए आईना-ए-ज़ानू मुझे
देखना हालत मेरे दिल की हम-आग़ोशी के वक़्त
है निगाह-ए-आशना तेरा सर-ए-हर-मू मुझे
हूँ सरापा साज़-ए-आहंग-ए-शिकायत कुछ न पूछ
है यही बेहतर कि लोगों में न छेड़े तू मुझे
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