Saturday 13 April 2019

लाग़र इतना हूं कि, गर तू बज़्म में जा दे मुझे laagar itna hu ki galib

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लाग़र इतना हूं कि, गर तू बज़्म में जा दे मुझे
मेरा ज़िम्मा, देख कर गर कोई बतला दे मुझे

क्या तअ़ज्जुब है कि उस को, देख कर आ जाए रहम
वां तलक कोई किसी हीले से पहुंचा दे मुझे

मुंह न दिखलावे न दिखला, पर ब अंदाज़-ए`इताब
खोल कर परदा ज़रा, आँखें ही दिखला दे मुझे

यां तलक मेरी गिरफ़्तारी से वह ख़ुश है, कि मैं
ज़ुल्फ़ गर बन जाऊं, तो शाने में उलझा दे मुझे


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