Wednesday, 3 April 2019
जहां तेरा नक़्शे-क़दम देखते हैं jahaa tera maqshe kadam
जहां तेरा नक़्शे-क़दम देखते हैं
ख़ियाबां-ख़ियाबां इरम देखते हैं
दिल-आशुफ़्तगां ख़ाले-कुंजे-दहन के
सुवैदा में सैरे-अ़दम देखते हैं
तेरे सर्वे-क़ामत से इक क़द्दे-आदम
क़यामत के फ़ित्ने को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी
तुझे किस तमन्ना से हम देखते हैं
सुराग़े-तुफ़े-नाला ले दाग़े-दिल से
कि शब-रौ का नक़्शे-क़दम देखते हैं
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहले-करम देखते हैं
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