Wednesday, 3 April 2019
इश्क़ तासीर से नोमीद नहीं ishq taasir se nomid nahi
इश्क़ तासीर से नोमीद नहीं
जां-सुपारी शजर-ए-बेद नहीं
सल्तनत दस्त-ब-दस्त आई है
जाम-ए-मै ख़ातिम-ए-जमशेद नहीं
है तजल्ली तेरी सामाने-वजूद
ज़र्रा बे-परतवे-ख़ुर्शीद नहीं
राज़-ए-माशूक़ न रुसवा हो जाये
वर्ना मर जाने में कुछ भेद नहीं
गर्दिश-ए-रंग-ए-तरब से डर है
ग़म-ए-महरूमी-ए-जावेद नहीं
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पे लोग
हम को जीने की भी उम्मीद नहीं
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
No comments :
Post a Comment