Friday 9 June 2017
तू अपनी सुना
चलो माना के मैं लायक हु इसी रुसवाई के
चलो माना के गुनाह मेरे माफ़ी के लायक नहीं
पर तू अपनी सुना
तेरे प्यार मैं तो कोई खोट न थी
फिर क्यों हर रोज मुझे एक नयी चोट दी
चलो माना के मैंने बेहियाई की हदे लाँघ दी
चलो माना के मैंने झूठ की बुनियादी बांध दी
पर तू अपनी सुना
तेरे लहजे मैं क्यों बेशरमी भर गई
तेरे नजरो से क्यों मैं यु उतर गई
चलो माना के शायद मैंने ही मजबूर किया हो तुम्हे
चलो माना के मैंने ही खुद से दूर किया हो तुम्हे
पर तू अपनी सुना
क्यों तू अपने वादों से मुकर गया
तेरे दिल से कैसे खुदा का खौफ उतर गया
चलो माना के मैं तेरे काबिल न बन पायी
चालो माना के अपनी कमजोरी न तुझसे छुपा पायी
पर तू अपनी सुना
तू क्यों न मुझे काबिल बना पाया
तू क्यों अपने दिल में शामिल करा पाया
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